Thursday, 27 April 2017

خلیج فارس ایران اور اسکے پڑوسیوں کا ہے

خلیج فارس ایران اور ان کے پڑوسیوں کا ہے

 #iran-arab-countries
از ظفر اقبال

خلیج فارس ایران اور اس کے پڑوسی عرب ممالک کا ہے. اسی طرح خلیج اومان بھی ایران اور اسکے عرب پڑوسیوں کا ہے.  یہاں امریکہ کا کیا کام ہے.
امریکی فوجی اڈوں کا مسلم ممالک کے قلب میں کیا کام سوائے امریکی غنڈہ گردی کے.  اب سنی عرب ممالک  امریکی تال پر ناچ رہے ہیں  اور پوری سنی عرب ممالک کو اسرائیلی خدمت پر مامور کردیا گيا ہے. اب ایسے میں ایران کی زمہ داریاں بڑھ جاتی ہے. بقول ایرانی وزیر خارجہ ڈاکٹر جاوید ظریف امریکہ خلیج میکسیکو سے ساڑھے سات ہزار کلومیٹر دُور خلیج فارس میں کیا کررہا ہے.  امریکی فوجیوں کو خلیج فارس سے بھگانے کی زمہ داری اب ایرانی پاسداران انقلاب کی ہے.  ایران کو چاہیے کہ امریکی حکومت کو مجبور کرے کہ وہ اپنی فوج مسلم ہارٹ لینڈ سے نکال لے جائے.  علاقے میں جتنی بھی تباہ کاریاں ہورہی ہیں اس میں امریکہ براہ راست ملوث ہے.

Monday, 24 April 2017

شمالی کوریا کو ایٹمی قوت بنانے والا ملک پاکستان

شمالی کوریا کو ایٹمی قوت بنانے والا ملک پاکستان


از ظفر اقبال

شمالی کوریا جو فی الحال چوبیس ایٹم بم کا مالک ہے. جس سے سب زیادہ اگر کوئی ملک پریشان ہے وہ امریکہ ہے.  شمالی کوریا   جس طرح امریکہ کو چیلنج کررہا اس نے  امریکہ کی ساکھ کو داؤ پر لگادیا.  امریکہ پریشان ہے شمالی کوریا سے کیسے نپٹا جائے. شمالی کوریا کو ایٹمی قوت بنانے والا ملک پاکستان ہے۔ اس سلسلے میں پاکستانی ایٹم بم کے خالق ڈاکٹر عبد القدیر خاں اپنے روزنامہ جنگ میں شائع آرٹیکل میں رقمطراز ہیں کہ ہم اپنے ملک پر ایٹم بم کے تعلق سے جو دباؤ امریکہ کی جانب سے پڑ رہا تھا اس کو کم کرنے کے لئے ہم نے شمالی کوریا سے بیلسٹک میزائل کے عوض ایٹمی سمجھوتہ کیا جس کی وجہ سے پاکستان اپنے ایٹمی اسلحہ کو ہوائی جہاز کے علاوہ بیلسٹک میزائل سے ڈیلوری کرنے کی صلاحیت حاصل کرنے میں کامیاب ہو پایا. ادھر اپنے دشمن امریکہ کی مصیبتوں میں اضافہ کرنا بھی ہمارا مقصد تھا جس میں پاکستان کامیاب رہا. اب دنیا کا خود ساختہ تھانیدار کی سیکورٹی خطرے ميں پڑگئی ہے. م 

Sunday, 23 April 2017

عیدِ جمہوریت


عیدِ جمہوریت


#Democracy_delhi_election

از: ظفر اقبال

آج دہلی میں بلدیاتی الیکشن ہوا،میں نے بھی اپنے حق رائے دہی کا استعمال کیا۔اس مرتبہ کے الیکشن میں لوگوں کی دلچسپی کم ہی دیکھی گئی، الیکشن کی گہماگہمی تو تھی لیکن یہاں کی عوام زیادہ پرجوش نہیں تھی، ایسا لگتا ہے کہ عام آدمی پارٹی کی حکومت دہلی میں شاید عوام کی امیدوں پر زیادہ کھری نہیں اتری، انہوں نے اپنی ہمہ جہت کارکردگی سے لوگوں کو اپنی طرف راغب کرنے میں ناکام رہی، شاید ایک وجہ یہ بھی تھی کہ عام آدمی پارٹی دہلی میں جو فیصلے لیتی تھی لفٹننٹ گورنر جو مرکزی حکومت کے ماتحت ہیں ،الٹ دیتی تھی اور دہلی کو مکمل ریاست کا درجہ بھی حاصل نہیں ہے اس لئے شاید عام آدمی پارٹی وہ مثبت کارکردگی دکھانے میں ناکام رہی، اس لئے لوگوں کی دلچسپی کم تھی، لوگوں نے بہت حد تک لاتعلقی کا اظہار بھی کیا اور لوگوں نے اپنی حق رائے دہی استعمال کرنے میں دلچسپی بھی کم دکھائی۔ اس کے باوجود جمہوریت کی اہمیت سے انکار کیا نہیں جاسکتا، جمہوریت ہمارے لئے کسی نعمت سے کم نہیں ہے، اسلئے میں نے اس کو’ عید جمہوریت‘ سے تعبیر کیا ہے۔ ایک ملک میں حالات تیز ی سے بدلتے رہتے ہیں ۔ وقت یکساں کبھی نہیں رہتا ۔ حالات تبدیل ہوتے رہتے ہیں، آج اگر ہم برے دور سے گذر رہے ہیں اس کا مطلب یہ نہیں ہے کہ سسٹم خراب ہے، اس جمہوریت کے راستے ہی یقیناًیہاں تبدیلی آئے گی اور انْقلابی تبدیلی آئے گی جس سے ہندوستان کا ہر شہری پورے طرح سے مستفید ہوگا۔ لیکن جہاں جہاں بادشاہت ہے وہاں کی عوام ایک طرح سے غلام ہے جو ایک خاندان کی خوشنودی کی خاطر حکومت کے جوئے کو ڈھورہی ہے، خلیج کے ممالک جہاں بادشاہت ہے وہاں کی عوام کی انفرادی رائے کی آزادی ختم ہوگئی ہے، سب لوگ بلکہ طبقہ علما بھی قرآن کی مختلف آیتوں کی تشریح بھی انہیں بادشاہوں کی خوشنودی کے لئے کرتے رہتے ہیں۔ اب سعودی عرب جو ۳۹ سنی ممالک کا اتحاد بنا کر ایک کمزور اور ناتواں ملک یمن کی اینٹ سے اینٹ بجانے میں لگاہوا ہے جس فوج کی کمان چند دن قبل بذات خود اسلام کا قلعہ ہونے کا دعوی کرنے والی فوج کے سابق سربراہ جنرل راحیل شریف سنبھال چکے ہیں۔ سعودی عرب جو محض اپنی شنہنشاہیت کے بقا کے لئے اور اپنی خاندان کی دائمی حکومت کے لئے اس ناتواں یمن کی حکومت کو ختم کرنے کا خواب دیکھ رہی ہے۔اگر آج سعودی عر ب میں جمہوری حکومت ہوتی تو اس طرح کے مسائل کھڑے نہیں ہوتے ، سب پڑوسی خاص طور سے عالم اسلام باہم مل کر رہتے ۔ مسئلہ تب ہی پیدا ہوتا ہے کہ حکمرانی کا ارتکاز ایک خاندان تک محدود ہوجانا، کبھی بھی حکومت ایک خاندان یا کئی خاندان تک مرتکز نہیں ہونا چاہئے۔اسی طرح پاکستان میں شریف خاندان اور بھٹو خاندان اور ہندوستان میں گاندھی نہرو خاندان کو ایک طرح سے تقدس حاصل ہے کہ ہندوستان میں حکومت کرنے کا حق صرف انہیں لوگوں کو ہے جس کی وجہ سے دونوں ممالک کی عوام بحران سے دوچار ہے۔ میں اس سلسلے میں دو مثالیں آپ کو دینا چاہتا ہوں ایک مثال امریکہ کی اور دوسری مثال ایران کی، امریکہ میں کوئی بھی صدر دو مرتبہ سے زیادہ صدر نہیں بن سکتا، اسی طرح ایران میں کوئی صدر دو مرتبہ سے زیادہ مسلسل صدر نہیں رہ سکتا، ابھی ایران میں صدر کے انتخاب کے لئے پرچہ نامزدگی ہوئی لیکن سابق صدر احمدی نژاد کا پرچہ نامزدگی مسترد کردیا گیا، اگر ڈاکٹڑ احمد ی نژاد مسلسل صدر رہتے تو اس طرح عوام میں اس خاندان کو تقدس حاصل ہوجاتا ہے اور یہی چیز حکومت کے لئے اور عوام کے لئے تباہی کا باعث ہوتا ہے۔ اسی طرح امام خمینی رحمۃ اللہ علیہ جب ایران کے ولایت فقیہ تھے تو ایران کے ممبران پارلیمنٹ نے ان کے بیٹے کو وزیراعظم بنانے کی خواہش کا اظہار کیا لیکن امام خمینی نے اس کو مسترد کردیا کہ جب میں ولایت فقیہ ہوں میرا کوئی بیٹا یا رشتہ بڑے عہدے کو قبول نہیں کرے گا۔ امام خمینی نے پوری کوشش کی کہ اقربا پروری کی گنجائش کہیں موجود نہ ہو۔ ابھی ایران امام خمینی بلکہ رسول اللہ کے اصول پر چل رہا کہ حکمراں اپنے اہل خانہ کو اعلی عہدے نوازنے دور رہے۔ یہی اسلام ہمیں سکھاتا ہے ۔ مجھے تو کسی ملک کے بارے میں یہ احساس ہوتا ہے کہ وہاں بادشاہت ہے تو مجھے الٹی کا احساس ہونے لگتا ہے،میں ایسے ملک میں جانا پسند نہیں کروں گا جہاں بادشاہت ہے۔
فون: 9958361526

Friday, 21 April 2017

क्या हम ने अपने व्यवहार से पाकिस्तान बनाने को जाएज क़रार दिया है?

क्या हम ने अपने व्यवहार से पाकिस्तान बनाने को जाएज क़रार     दिया है?

#Pakistan_indian_Muslim_Govt_Situation

जफर इकबाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो आरएसएस पृष्ठभूमि रखते हैं, जिन की राजनीतिक विंग भाजपा के नामित प्रधानमंत्री हैं, जो तीन साल पहले भारत के प्रधानमंत्री बने थे, जब से वह प्रधानमंत्री बने हैं भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति जिस पर यहां की बड़ी जनसंख्या को गर्व रहा है। भारत दुनिया में अपने आप को सबसे बड़ा जमहुरी देश होने का दावा करता है, जहां हर मज़हब के लोग आपसी प्रेम से रहते हैं और एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का खयाल रखते हैं, इस पर यहाँ के लोग को सदियों से गर्व रहा है, चाहे उनका संबंध हिंदुओं से हो, चाहे वह मुस्लिम हों या ईसाई या सिख या जेन, बौद्ध, पारसी और यहूदी या नासतीक आदि। भारत ने हमेशा ऐसे लोगों के विचारों और विचारधारा को लब्बैक किया है और ऐसे लोगों ने भारत में लोकतंत्र का वह बीज बोया है जिसकी वजह से हम में भाईचारा और प्यार बहुत ज्यादा है। लेकीन तीन साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा भारत में सत्ता मे आई है तब से भारत की वह लोकतंत्र जिसे हम लोग आप खोज रहे हैं और जिसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं वे खतरे में पड़ गई है, यहाँ अक्सर लोग विशेष रूप से मुसलमान अब सोचने लगे हैं कि पाकिस्तान का बनना कया उन के लिए सही है क्या उन के आब-व-अजदाद को पाकिस्तान प्रवास के लिए जाना चाहिए था? ऐसे सवाल उनके मन में बार बार आ रहे हैं। ऐसे विचार क्यों न आएं क्योंकि भारत में जिस तरह कीपरिस्थितियों अल्पसंख्यक के लिए बना दी गई है। शायद सतताधारी लोगों के मन में यह बात भी है कि पाकिस्तान के निर्माण में उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने मदद की जिसकी वजह से पाकिस्तानी आंदोलन अपने शबाब को पहुंची और अंततः भारत वितरण और फिर पाकिस्तान के निर्माण पर समापन हुआ। मुस्लिम लीग को सबसे अधिक समर्थन उन्हें जिस क्षेत्र से मिली वह क्षेत्र उत्तर प्रदेश ही था। उस ज़माने में यह बात मशहूर थी कि राजा महमोदआबाद का पैसा और मोहम्मद अली जिन्नाह की बेजोड़ नेतृत्व पाकिस्तान के निर्माण में नुमाया भूमिका निभाई।
लेकिन उत्तर प्रदेश के मुसलमानों से क्या भारत की भाजपा सरकार वह बदला लेना चाहती है जिनके पूर्वजों ने पाकिस्तान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी? द्विराष्ट्र सिद्धांत के आधार पर पाकिस्तान वितरण हुई, में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम लेना चाहूँगा जिन्होंने पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बंगलादेश जब पाकिस्तान से अलग हो गया तो इंदिरा गांधी ने उस समय कहा थाकि '' मैं ने द्विराष्ट्र सिद्धांत को बंगाल की खाड़ी में डूबा दिया है और हम ने एक हजार साल की गुलामी का बदला लिया है। '' उनके ऐसे शब्द थे, जिससे खुश होकर हमारे भाजपा और एनडीए के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था।
क्या सत्तर वर्ष गुजरने के बाद क्या हम भारत की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक के साथ प्रतिशोध करेंगे कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता और खाने-पीने की स्वतंत्रता और लाखों लोगों बेरोजगार करके हम लें। क्या भारत जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने का दावा करता है जहां सभी धर्मों को बराबर की स्वतंत्रता प्राप्त है, जो गारंटी हमें संविधान ने दिया है, क्या एक बड़ा अल्पसंख्यक के साथ अन्याय कर वह क्या हासिल करना चाहती है सिवाय अपने संतोषजनक दिल के। बहुत सारे लोग जो पाकिस्तान में बैठे हैं जो भारत की स्थिति का ध्यानपूर्वक निरीक्षण कर रहे हैं, वे अब सोशल मीडिया पर यह अभियान भी चला रहे हैं कि भारत की स्थिति ने साबित कर दिया है कि भारत का विभाजन और पाकिस्तान बनाना क्यों हमारे लिए आवश्यक था। पाकिस्तान हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है, पाकिस्तान के लोग भारत के मुसलमानों के दयनीय हालत और भय के माहौल को देखकर अब यह लिखने लगे हैं कि जैसे I Salute Mr. Muhammad Ali Jinnah '' आदि अब काफी बड़ी संख्या में दिखने लगे हैं। यूपी में जब से योगी सरकार सत्ता में आई है तब से यूपी की हालत तो बहुत ही बुरी हो चुकी है। उन के पद संभालने के कुछ दिन बाद ही आजमगढ़ से यह खबर आई कि शादी की पूरी तैयारी कर ली गई थी भोजन बनकर तैयार हो गए थे लेकिन पुलिस आई उसने मांस देगों में रेत डाल कर चली गई, अब यूपी से खबरें आ रही हैं कि यूपी में बहुत सारी शादियों में मांस बनाने के संबंध में वहां के मुसलमान थाने में अर्जी दे रहे हैं कि आप हमें मांस बनाने की अनुमति दें, ताकि शादी में मांस बनवाया जा सके, मांस और चिकन के व्यवसाय से जुड़े लाखों मुस्लिम व्यक्ति बेरोजगार हो गए हैं। क्या ऐसे हालात में भी भारत के मुसलमान अब सोचने पर मजबूर हो रहे हैं कि पाकिस्तान का बनना सही था। पहले भारत की एक बड़ी मुस्लिम आबादी पाकिस्तान को अस्वीकार करती थी लेकिन उन्हें लोगों के मन में अब इसी तरह के सवाल आरहे हें कि क्या भारत सरकार शांतिपूर्ण वातावरण बनाए या देश के हालात इसी तरह बिगड़ते चले जाएंगे। गाए को देखकर लोग अब रास्ता बदलने में ही भलाई समझते हैं। अब मुस्लिम ग्वाले गाय पालने से बचने लगे हैं। कुछ समय पहले राजस्थान के अलवर में एक मुस्लिम को गाउरकशों ने शुबहे के आरोप में भरी पूरी सड़क पर मौत के घाट उतार दिया था। इस तरह के हालात बहुत ही गंभीर रुख अख्तियार कर चुके हैं। अब भारत की केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि भारत में शांतिपूर्ण वातावरण बनाए जिससे भारत की बड़ी अल्पसंख्यकों के दिल से डर खत्म हो सके।
फोन: 9958361526

Thursday, 20 April 2017

کیا ہم نے اپنے رویہ سے پاکستان کی تخلیق کو جواز فراہم کیا ہے؟


کیا ہم نے اپنے رویہ سے پاکستان کی تخلیق کو جواز فراہم کیا ہے؟


#pak_india_situation

از: ظفر اقبال

وزیراعظم نریندر مودی جو آر ایس ایس پس منظر رکھتے ہیں، جس کی سیاسی ونگ بی جے پی کے نامزد وزیراعظم ہیں ، جو تین برس قبل ہندوستان کے وزیراعظم بنے تھے، جب سے وہ وزیراعظم بنے ہیں ہندوستان کی گنگا جمنی تہذیب جس پر یہاں کی بڑی آبادی کو عرصے سے فخر رہا ہے ۔ ہندوستان دنیا میں اپنے آپ کو سب سے بڑا جمہیوری ملک ہونے کا دعوی کرتا ہے، جہاں ہر قوم ومذاہب کے لوگ آپسی محبت سے رہتے ہیں اور ہر ایک دوسرے کے مذہبی جذبات اور انفرادی آزادی کا خیال رکھتے ہیں، اس پر یہاں کے لوگوں کو صدیوں سے فخر رہا ہے، چاہے ان کا تعلق ہندوؤں سے ہو، چاہے وہ مسلم ہوں یا عیسائی یا سکھ، یا جین ، بودھ، پارسی اور یہودی اور لامذہب وغیرہ۔ ہندوستان کی فضا نے ہمیشہ ایسے لوگوں کے خیالات اور افکار کو لبیک کیا ہے اور ایسے لوگوں نے ہندوستان میں جمہوریت کا وہ بیج بویا ہے جس کی وجہ سے ہم میں بھائی چارہ اور محبت بہت زیادہ ہے۔ لیکں تین برس قبل جب وزیراعظم نریندر مودی کی قیادت میں بی جے پی ہندوستان میں برسراقتدار آئی ہے تب سے ہندوستان کی وہ جمہوریت جس کو ہم لوگ آپ تلاش کررہے ہیں اور جس کو بچانے کی کوشش کررہے ہیں وہ خطرے میں پڑگئی ہے، یہاں کے اکثر لوگ خاص طور سے مسلمان اب سوچنے لگے ہیں کہ پاکستان کا بننا کیاان کے لئے درست ہے کیا ان کے آبااجداد کو پاکستان ہجرت کرنا جانا چاہئے تھا؟اس طرح کے سوالات ان کے ذہن میں بار بار آرہے ہیں۔ اس طرح کے خیالات کیوں نہ آئیں کیوں کہ ہندوستان میں جس طرح حالات ایک بڑی اقلیت کے لئے بنادی گئی ہے۔ شاید ان برسراقتدار افراد کے ذہن میں یہ بات بھی ہو کہ پاکستان کی تخلیق میں اترپردیش کے مسلمانوں نے مدد کی جس کی وجہ سے پاکستانی تحریک اپنے شباب کو پہنچی اور بالآخر ہندوستان کی تقسیم اور پھر پاکستان کی تخلیق پر منتج ہوئی۔ مسلم لیگ کوسب سے زیادہ حمایت ان کو جس علاقے سے ملی وہ علاقہ اترپردیش ہی تھا۔ اس زمانے میں یہ تو بات مشہور تھی کہ راجہ محمودآباد کا پیسہ اور محمد علی جناح کی بے مثال قیادت نے پاکستان کی تخلیق میں نمایا ں کردار ادا کیا۔
لیکن اترپردیش کے مسلمانوں سے کیا ہندوستان کی بی جے پی حکومت وہ انتقام لینا چاہتی ہے جن کے آبا واجداد نے پاکستان کی تخلیق میں اہم کردار ادا کیا تھا؟ دو قومی نظریہ کے بنیاد پر پاکستان کی تقسیم ہوئی، سب سے پہلے میں آنجہانی سابق وزیراعظم اندرا گاندھی کا نام لینا چاہوں گا جنہوں نے پاکستان سے بنگلہ دیش کو الگ کرنے میں نمایاں کردار ادا کیا تھا۔بنگلہ دیش جب پاکستان سے الگ ہوگیا تو اندرا گاندھی نے اس وقت کہا کہ ’’میں نے دو قومی نظریہ کو خلیج بنگال میں ڈوبا دیا ہے اور ہم نے ایک ہزار برس کی غلامی کا بدلہ لیا ہے۔‘‘ ان کے اس طرح کے الفاظ تھے، جس سے خوش ہوکر ہمارے بی جے پی کے رہنما اور این ڈی اے کے سابق وزیراعظم اٹل بہاری واجپئی نے اندرا گاندھی کو درگا کہا تھا۔
کیا ستر برس گذرنے کے بعد کیا ہم ہندوستان کی سب سے بڑی اقلیت کے ساتھ انتقامی کارروائی کریں گے کہ اس سے مذہبی آزادی اور کھانے پینے کی آزادی اور لاکھوں افراد بے روزگار کرکے ہم لیں ۔ کیا ہندوستان جو دنیا کا سب سے بڑا جمہوری ملک ہونے کا دعوی کرتا ہے جہاں تمام مذاہب کو برابر کی آزادی حاصل ہے، جس کی ضمانت ہمیں آئین ہند نے دی ہے ، کیا ایک بڑی اقلیت کے ساتھ ناانصافی کرکے وہ کیا حاصل کرنا چاہتی ہے سوائے اپنے تسکین قلب کے۔اس کے بعد بہت سارے لوگ جو پاکستان میں بیٹھے ہیں جو ہندوستان کے حالات کا بغور مشاہدہ کررہے ہیں، وہ اب سوشل میڈیا پر یہ مہم بھی چلارہے ہیں کہ ہندوستان کے حالات نے ثابت کردیا ہے کہ ہندوستان کی تقسیم اور پاکستان کی تخلیق کیوں ہمارے لئے ضروری تھی۔ پاکستان ہمارے لئے کسی نعمت سے کم نہیں ہے، پاکستان کے لوگ ہندوستان کے مسلمانوں کے قابل رحم حالت اور خوف کے ماحول کو دیکھ کر اب یہ لکھنے لگے ہیں کہ جیسے I Salute Mr. Muhammad Ali Jinnah‘‘ وغیرہ اب کافی بڑی تعداد میں نظر آنے لگے ہیں۔ یو پی میں جب سے یوگی حکومت برسراقتدار آئی ہے تب سے یوپی کی حالت تو بہت ہی دیگر گوں ہوچکی ہے۔ان کے عہدہ سنبھالنے کے چند دن بعد ہی اعظم گڑھ سے یہ خبر آئی کہ شادی کی پوری تیاری کرلی گئی تھی کھانے بن کر تیار ہوگئے تھے لیکن پولس آئی اس نے گوشت کی دیگوں میں ریت ڈال کر چلی گئی، اب یوپی سے خبریں آرہی ہیں کہ یوپی میں بہت ساری شادیوں میں گوشت بنانے کے تعلق سے وہاں کے مسلمان تھانے میں عرضی دے رہے ہیں کہ آپ ہمیں گوشت بنانے کی اجازت دیں ، تاکہ شادی میں گوشت بنوایا جاسکے، گوشت اور چکن کے کاروبار سے وابستہ لاکھوں مسلم افراد بے روزگار ہوگئے ہیں۔ کیا ایسے حالات میں بھی ہندوستان کے مسلمان اب سوچنے پر مجبور ہورہے ہیں کہ پاکستان کی تخلیق کیا صحیح عمل تھا،پہلے ہندوستان کی ایک بڑی مسلم آبادی پاکستان کو مسترد کرتی تھی لیکن انہیں لوگوں کے ذہن میں اب اسی طرح کے سوالات آرہے ہیں۔کیا ہندوستان کی حکومت پرامن ماحول بنائے گئی یا ملک کے حالات اسی طرح بگڑتے چلے جائیں گے۔گائے کو دیکھ کر لوگ اب راستہ بدلنے میں ہی بھلائی سمجھتے ہیں۔ اب مسلم گوالے گائے کو پالنے سے پہلو تہی کرنے لگے ہیں۔ کچھ عرصے قبل راجستھان کے الور میں ایک مسلم کو گاؤرکشوں نے شبہے کے الزام میں بھری پوری سڑک پر موت کے گھاٹ اتار دیا تھا۔ اس طرح کے حالات بہت ہی سنگین رخ اختیار کرچکے ہیں۔اب ہندوستان کی مرکزی حکومت کی ذمہ داری بڑھ جاتی ہے کہ ہندوستان میں پرامن ماحول بنائے جس سے ہندوستان کی بڑی اقلیتوں کے دل سے خوف کا خاتمہ ہوسکے۔
فون: 9958361526

Tuesday, 18 April 2017

امریکہ پر شمالی کوریا کا بھوت سوار

امریکہ پر شمالی کوریا کا بھوت سوار


#North_Korea_ghost_USA

امریکہ نے ایک ایسی دوربین بنائی ہے.جس کا رخ شمالی کوریا کی جانب ہے۔ جس دوربین کے ذریعہ آپ کوریا کے ڈکٹیٹر کم جانگ ان کے بیڈ روم کو دیکھ سکتے ہیں۔۔۔۔۔ امریکہ کا وزیر دفاع سے لے کر نائب صدر تک اس دوربین کے ذریعہ کم جانگ ان کے بیڈ روم میں جھانک کر اطمینان کررہا ہے کہ وہ سورہا ہے یا کسی اور کام میں منہمک ہے۔ امریکہ پر خوف کا بھوت سوار ہے


Sunday, 16 April 2017

فوعہ اور کفریا گاؤں والے دہشت گردوں کے نشانہ پر اور دنیا خاموش

فوعہ اور کفریا گاؤں والے دہشت گردوں کے نشانہ پر اور دنیا خاموش



از: ظفر اقبال

گزشتہ روز حلب کے دو شیعہ گاؤں فوعۃ اور کفریا جس کو دہشت گردوں نے چاروں طرف سے گھیررکھا تھا، گاؤں کے لوگ کافی عرصے سے مزاحمت کررہے تھے لیکن گزشتہ دنوں ایک ڈیل کے ذریعہ گاؤں کو خالی کیا گیا ، کئی بسوں پر مشتمل ایک قافلہ گاؤں خالی کررہا تھا لیکن ان بسوں پر خودکش بمبار کے ذریعہ حملہ کیا گیا جس میں 100افراد ہلاک ہوچکے ہیں جن میں 38 بچے شامل ہیں۔ لیکن سوائے اقوام متحدہ کے جنرل سکریٹری اور ایران اور حزب اللہ جیسی کچھ تنظیموں کی جانب سے ہی مذمتی بیان آیا ہے لیکن سنی دنیا خاص طور سے خاموش ہی ہے۔ خاص طور سے سعودی عرب اور خلیج کے دیگر ممالک بہت ہی خوش ہیں کہ چلو شیعہ مردوعورت اور بچے مارے گئے۔ سمجھ سے بالاتر ہے ۔ وہی امریکہ جو 7 اپریل 2017 کو محض اس الزام پر کہ حکومت نے دہشت گردوں کے علاقے پر کیمیائی ہتھیاروں سے حملہ کیا تھا اب یہ بات واضح ہوگئی ہے یہ کیمیائی حملہ دہشت گردوں نے کیا تھا اور اس کا الزام حکومت پر لگایا تاکہ بیرونی دنیا خاص طور سے امریکہ کومشتعل کیا جاسکے، اسی اشتعال انگیزی کا نتیجہ تھا کہ امریکہ نے ۵۹ کروز میزائل سے شام پر حملہ کیا اور اس ائر بیس کو تباہ کردیا، وہ ائر بیس سے سب سے زیادہ حملہ کیا جارہا تھا جس کی وجہ سے دشمن بہت ہی پریشان اور مسلسل پسپائی پر مجبور ہورہا تھا۔ لیکن اس کے بعد جو واقعات ظہور پذیر ہوا۔ دنیا والوں کے سامنے ہے، اب امریکہ نے روس ، ایران اور شام کی حکومت کی یقین دہانی کرادی ہے کہ وہ دوبارہ شام پر حملہ نہیں کرے گا۔ یہ دنیا کی منافقت ہے کہ وہ دہشت گردوں کی مسلسل حمایت کررہا ہے تاکہ بشار الاسد کی حکومت کو اکھاڑ پھینکا جائے اور لاکھوں مرودوعورت کو ہلاک کرنے میں ان دہشت گردوں کا جو ہاتھ ہے وہ سب کے سامنے ظاہر ہے لیکن ان لوگوں کو دکھ نہیں رہا ہے۔ میڈیا کے ذریعہ مسلسل بشار الاسد کو ویلن بنا کر پیش کرنے کی کوشش کی جارہی ہے۔ وہی تو ایک فرد ہے جو اسرائیل کے سامنے اور دہشت گرد ممالک کے سامنے سد راہ بنا ہوا ہے۔دہشت گرد ممالک ان کی وجہ سے اپنے مشن میں ناکام ہیں۔کب لوگوں کویہ بات سمجھ میں آئے گی کہ دہشت گرد کسی کے نہیں ہوتے۔
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Friday, 14 April 2017

امریکہ نے افغانستان میں بلی ماری

امریکہ نے افغانستان میں بلی ماری


Afghanistan_USA_MOAB#

از:ظفر اقبال


گزشتہ روز سات بجے شام کو امریکہ نے دنیا کا سب سے بڑا بم، جس کا وزن تقریبا دس ہزار کلوگرام ہے افغانستان پر گرا کر ایک طرح سے اس نے بلی مارنے کا کھیل کھیلا ہے، بلی مارنا ایک محاورہ ہے، یہ محاورہ اردو دنیا میں ایران سے آیا ہے۔ اس کی کہانی بھی میں آپ کو بتاتا چلوں کہ اس محاورہ کا پس منظر کیا ہے، ایک آدمی کی نئی نئی شادی ہوئی تھی، وہ چاہتا تھا کہ اپنی بیوی کو ڈرا کر رکھے، اس نے ایک ترکیب سوچی کہ جب وہ اپنے کمرے میں بیٹھا ہوا ہو، بلی تو ویسے بھی ہر گھر میں آتی جاتی رہتی ہے، بلی اس کے سامنے سے گذری اس نے فورا ہی ڈنڈا سے اس زور سے مارا کہ بلی مرگئی، یہ دیکھ کر اس کی بیوی ڈر گئی کہ یہ آدمی کتنا جلالی ہے، صرف بلی کے سامنے سے گذر جانے پر اس کو مار سکتا ہے تو غلطی کرنے پر کس قدر طیش میں آئے گا۔ اس طرح اس کی بیوی اس آدمی سے ڈر گئی۔ خیر یہ تو جملہ معترضہ ہوا، کہنے کا مطلب یہ ہے کہ امریکہ نے اپنا سب سے بڑا بم افغانستان پر گرا کر دراصل وہ بہت سے سارے ممالک کو ڈرانا چاہتا ہے، جیسے کی ایران، شام، حزب اللہ، شمالی کوریا وغیرہ ۔

امریکہ کی جانب سے دہشت گرد تنظیم اسلامک اسٹیٹ کے ہیڈ کوارٹڑ کو نیسست نابود کرنے کے لئے اس قدر بڑا بم گرانے کی ضرورت ہی کیا تھی۔ افغانستان کے آئی ایس دراصل طالبان سے ٹوٹ کر الگ ہونے والا گروپ ہے۔ جس بم کے گرانے سے صرف 36 افراد ہلاک ہوئے ہیں۔ دراصل امریکہ نے اس بم کو افغانستان کی پہاڑی پر گرا کر ٹسٹ کیا، طالبان سے تو وہ 2001سے برسرپیکار ہے لیکن امریکہ اور ناٹو ممالک کوئی بھی ہدف حاصل کرنے میں ناکام رہے، طالبان آج بھی اسی طرح مزاحمت کررہے ہیں جس طرح وہ پہلے کررہے تھے، امریکہ گبھراہٹ کا شکار ہوچکا ہے اور خوف میں مبتلا ہوچکا ہے، اسی خوف کا نتیجہ ہے کہ امریکہ مسلسل پے درپے غلطیاں پر غلطیاں کررہا ہے، امریکہ افغانستان میں پھنس چکا ہے، افغانستان کی تاریخ بھی یہی رہی ہے کہ جب بھی کوئی سپر پاور اپنی ناعاقبت اندیشی کی وجہ سے حملہ آور ہوااس کا خاتمہ بھی وہیں سے ہوا، چاہے برطانیہ کی جانب سے حملہ کرنا یا روس کا کمزور ہونا یا امریکہ کا فی الحال افغانستان میں پھنس جانا، امریکہ مسلسل جان ومال افغانستان میں کھورہا ہے، عراق پر بھی امریکہ نے 2003میں صدام حسین کی حکومت کے خاتمے کے بعد 2011میں وہ عراق سے نکل بھاگا ، لیکن افغانستان میں اب بھی پھنسا پڑا ہے،اگر وہ طالبان کو ختم کئے بغیر امریکہ افغانستان سے فرار ہوتا ہے تو اس کی دنیا میں کیا عزت رہ جائے گااور اگر وہ افغانستان میں رہتا تو ہے وہ مسلسل زخم جھیلتا رہے گا۔
امریکہ اس وقت ایک ڈوبتا ہوا جہاز ہے۔اس کی حالت بقول امام خمینی رحمۃ اللہ علیہ کے کتوں کی ہے، اگر تم ڈراؤگے تو ڈر جائے گا اور اگر تم بھاگنے لگو گے تو وہ تمہارے پیچھے پڑجائے گا۔ اس لئے امریکہ کی مزاحمت کرنے والے قوتوں کو چاہئے کہ وہ امریکہ کے ڈرانے دھمکانے والے فریب میں ہرگز گرفتار نہ ہوں، ڈٹ کر مقابلے کریں، فتح ان کے قدم چومے گی اور امریکہ خود بھاگتے بھاگتے گلف آف میکسیکو تک سمٹ جائے گا۔

فون:9958361526



Thursday, 13 April 2017

شام میں امریکہ کی پسپائی

شام میں امریکہ کی پسپائی


Syria_USA_retreat#

از:ظفر اقبال

 6اپریل 2017کو شام کے ائر بیس پر امریکی کروز میزائل کے حملوں کے بعد جس طرح کی صورتحال تبدیل ہوئی جس سے امریکی اور اس کے حامی ممالک کو ایسا لگنے لگا تھا کہ اب بشار الاسد کے دن قریب آ چکے ہیں اور ان کی حکومت کے دن گنے جاچکے ہیں۔ان میں زیادہ تر سنی ممالک سعودی عرب، ترکی ، متحدہ عرب امارات اور قطر پیش پیش تھے، لیکن ترکی کی خوشی تو لائق دید تھی، صدر طیب ارودگان نے بڑھ کر اور مطالبہ کردیا کہ شام میں نوفلائی زون بھی قائم کیا جائے اور ساتھ ہی ساتھ بار بار اسی طرح کے حملے شام پر کئے جائیں، لیکن ان کی خوشی بہت ہی عارضی ثابت ہوئی۔ٹام ہاک کروز میزائل کے حملے امریکی حکومت کے بقول اس لئے گئے کہ ہیں کہ شام کی حکومت نے ادلب میں باغیوں کے علاقوں پر کیمیکل حملے کئے تھے، لیکن سوال یہ پیدا ہوتا ہے کہ 2013میں جب شام میں کیمیائی حملہ ہوا تھا تواس وقت یو این او میں کافی واویلا مچا تھا بالآخر یو این او کی کیمیائی معاملات پر نظر رکھنے والی تنظیم شامی حکومت کے تمام کیمیائی ہتھیاروں کو لے گئی تھی توپھر شام کی حکومت کیمیائی حملہ کیسے کرسکتی ہے۔ بلکہ یہ رپورٹ آرہی ہے کہ ترکی نے ہی ان دہشت گردوں کو کیمیائی ہتھیار فراہم کئے اور خود ہی لوگوں پر حملہ کیا اور اس حملے کا الزام شام کی حکومت پر لگایا گیا،اس کے بعد امریکی ھکومت طیش میں آکر ٹام ہاک کروز میزائلوں سے شام پر حملہ کردیا۔ ٹام ہاک کروز میزائل کے حملوں سے ان کے حوارین بہت ہی جوش میں تھے لیکن ان کی خوشی بہت ہی عارضی ثابت ہوئی۔ انہیں ایسا محسوس ہوا کہ بشار الاسد کا سب ساتھ چھوڑ کر چلے جائیں گے اور وہ یکا وتنہا رہ جائے گا۔ اس کے بعد جس طرح لیبیا میں ناٹو افواج نے بمباری کی اور اس کے بعد معمر قذافی کو قتل کردیا گیا اوراسی طرح عراق میں صدام حسین کے عہد میں امریکی اور برطانوی فوجی کی یلغار کے بعد عراق کی حکومت ختم ہوگئی اور عراق پر امریکی اور برطانوی قبضہ ہوگیا تھا۔ عربوں کا اب تک وطیرہ یہی رہا ہے کہ اس سے جو لوگ بھی بگاڑ کریں گے ان کو امریکہ اور برطانیہ فوج کے ذریعہ اس کو حشر کی آگ میں جھونک دیں گے۔ لیکن ابھی سے چھتیس گھنٹہ قبل ایران کے وزیر دفاع میجر جنرل دہقان کا جب یہ بیان آیا کہ اگر دوبارہ شام پر امریکی حملہ ہوتا تو اس حملے کا منھ توڑ جواب دیا جائے گا۔ اس چیز نے امریکہ اور اس کے حوارین میں بے چینی پیدا کردی، یہ بیان اگر شام کے صدر اور وزیر خارجہ یا وزیر دفاع کی جانب سے آیا ہوتا تو بات دیگر تھی لیکن جب معاملہ ایران کے وزیر دفاع کا تھا تو امریکہ کی کابینہ میں ہلچل مچ گئی، اس کا مطلب یہ ہوا کہ اگر یہ جنگ ہوئی تو اسے ایران، عراق، شام اور حزب اللہ سب سے جنگ لڑنی پڑے گی، اس کا مطلب دنیا تیسری عالمی جنگ کی طرف چلی جائے گی۔ان حالات میں امریکہ ایک ہی فیصلہ کرسکتا تھا کہ امریکہ کا وزیر خارجہ ریکس ٹیلرسن بارہ گھنٹے پہلے بھاگا بھاگا ماسکو پہنچا کہ کسی طرح معاملے کو رفع دفع کردیا جائے، گزشتہ رات ماسکو میں روسی وزیر خارجہ لاروف اور امریکہ وزیر خارجہ ریکس ٹلرسن کے درمیان مذاکرات اور پھر روسی صدر پوتن سے ملاقات کے بعد پریس کانفرنس کی ، امریکی لہجہ سے لگ رہا تھا اب شام میں وہ کسی طرح کا دوبارہ حملہ کرنے کی غلطی نہیں کرے گا۔ الحمد للہ فی الحال ایران کی فوجی حالت یہ ہے کہ اگر آدھی دنیا بھی ایران پر حملہ کردے تب بھی ان تمام لوگوں کو وہ شکست سے دوچار کردے گا۔ ریگولر آرمی، پاسداران انقلاب اس کے علاوہ تقریبا ایک کروڑ بیس لاکھ بسیج ملیشیا بھی ان کے پاس ہے۔ اسی طرح عراق میں بھی وہ بسیج ملیشیا تیار کرنے میں وہ عراقی حکومت کی مدد کررہا ہے۔ اسی طرح شام میں بھی ایک بڑی تعداد بسیج ملیشیا کی ہے جو اسد کی فوج کی زیر قیادت لڑرہی ہے۔ اسی طرح حزب اللہ کے لڑاکوں کی تعداد تقریبا ڈیڑھ لاکھ سے زائد ہے، جس سے اسرائیل لرزہ براندام رہتا ہے۔
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Tuesday, 11 April 2017

مغرور عرب

مغرور عرب

#Araba_arrogant

از:ظفر اقبال


گزشتہ روز ایک معروف اخبار کے صحافی کے فیس بک پر یہ چیز پڑھ کر مجھے ہنسی آئی۔ وہ بات یہ تھی کہ ’’سعودی شہری سے اب کوئی ٹیکس نہیں لیا جائے گا۔‘‘ انہوں نے شاید بہت ہی خوشی میں یہ پوسٹ کیا ہو۔ لیکن ہمیں اس پوسٹ میں کوئی خوشی نہیں لگی۔ اگر یہ بات امریکہ، برطانیہ،فرانس اور جرمنی اور دیگر اور ممالک کے تعلق سے ہوتی تو ہمیں خوشی ہوتی اور ہم سمجھتے ہیں کہ دنیا کے بہت سارے لوگوں کا اس سے بھلا ہوگا۔ لیکن سعودی عرب کی حکومت کی جانب اس اعلان سے ہندوستانیوں کو کیا خوشی ہوسکتی ہے؟ یہ دلچسپ امر ہے کہ آپ سعودی عرب میں پچاس برس بھی رہ لیں لیکن آپ کو وہ شہریت نہیں دیں گے۔ دنیا کے ہر ملک کا شہری کہیں بھی شادی کرسکتا ہے اور اس کے بچوں اور اس کی بیوی کو متعلقہ ملک میں شہریت دی جاتی ہے لیکن خلیج کے دیگر عرب ممالک میں وہاں کی کسی بھی لڑکی کے ساتھ آپ شادی نہیں کرسکتے۔ وہ آپ کے یہاں شادی تو کرسکتے ہیں لیکں آپ کے یہاں کی عورتوں اور بچوں کویہ شہری تسلیم نہیں کریں گے۔ یہ بات ان کے ملک کا آئین کہتاہے۔ ہم الزام نہیں لگارہے ہیں۔ ان کے آئین میں یہ بات لکھی ہوئی ہے۔شادی کا تعلق ہر انسان کے بنیادی حقوق سے ہے۔ لیکن ان عرب ملکوں کے حکمرانوں نے اپنی عوام سے وہ بنیادی حق بھی چھین رکھا ہے۔ لیکن ٹھیک اس کے برعکس آپ برطانیہ، فرانس، امریکہ اور دیگر یوروپ ممالک میں آپ وہاں شادی کرسکتے ہیں۔ اپنی پسند سے کہیں بھی شادی کرسکتے ہیں، شادی کرنے کے بعد آپ اس ملک کے شہری ہونے کا حق رکھتے ہیں۔ عربوں کا قانون چلئے غیر مسلم کے تعلق سے ہو تو بات سمجھ میں آتی ہے ۔ عرب اور غیر عرب جب دونوں مسلمان ہوتو اس میں کیا پریشانی ہے کہ وہ ایک دوسرے کو اگرپسندکرتے ہیں تو شادی کرسکتے ہیں ، اسلام نے بھی اس کی پوری آزادی دی ہے، ایک مسلمان کہیں بھی شادی کرسکتا ہے ، یہ تو عام اسلام کا قانون ہے، لیکن عرب غیر عرب کو لائق اعتنا ہی نہیں سمجھتے ہیں اور ہم عجمی ان کے ہر اشارے پر مرے ہی جاتے ہیں۔ سمجھ سے بالاتر ہے، غیرعرب کی کیا حیثیت ہے عربوں کے نزدیک یہ سب کے سامنے عیاں ہے۔عرب جب چاہیں غیر عرب خاص طور سے پاکستان اور ہندوستان میں نکاح کرکے مزا مار کر چلے جاتے ہیں اوران لڑکیوں، جن سے وہ عرب نکاح کرتے ہیں ان کے والدین کے جھولی میں دس بیس ہزار ریال ڈال کر چلے جاتے ہیں اور کچھ عرصے کے بعد اس لڑکی کے یہاں شیخ کے بچے کی بھی ولادت ہوجاتی ہے، لیکن شیخ اس بچے کو تسلیم ہی نہیں کرتے ہیں ، شیخ کے ان بچوں کا ان کے مال میں وراثت جو اسلا م کا قانون ہے اس میں سے کچھ نہیں دیا جاتا ہے۔ ان عربوں نے اسلام کا ہی نہیں بلکہ غیر ممالک کا خاص طورسے پاکستان، ہندوستان اور بنگلہ دیش اور اس کے علاوہ دیگر غیر ممالک کو قحبہ خانہ سمجھ رکھاہے جو محض عیش کرنے کے لئے یہا ں کی لڑکیوں سے نکاح کرتے ہیں اور دس بیس ہزار ریال اور ایک عدد بچے ان کے گود میں چھوڑ کر چلے جاتے ہیں اورہم ان عربوں کے لئے اپنی جان نچھاورکرنے کے لئے بے چین رہتے ہیں۔ یہ جاہل عرب خاص طور سے نجد کے بدو جس کو اسلام کے بارے میں صحیح علم نہیں ہے ۔ ہاں ان کو قبائلی عصبیت کے بارے میں بہت علم ہے۔ جو اسلام کو اپنے پیروں کے نیچے روندتے رہتے ہیں۔اس لئے ہم کو ان عربوں کے لئے جان دینے کے لئے چندہ ضرورت نہیں ہے۔ حرمین شریفین ہمیں جان سے زیادہ عزیز ہے۔ لیکن حرمین شریفین کی آڑ میں امۃ مسلمہ اب زیادہ استحصال برداشت نہیں کرے گی۔

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Sunday, 9 April 2017

شام صدر بشار الاسد کے بغیر

شام صدر بشار الاسد کے بغیر


#Asad_resignation_syria

از:ظفر اقبال

فرض کر لیتے ہیں کہ شام کے صدر اپنے عہدہ صدارت سے استعفے دے کر تہران، ماسکو یا پیرس میں اپنے کابینہ کے ساتھ چلے جاتے ہیں۔ اس ملک شام کا کیا ہوگا؟ شام میں جو مرکزیت بچی ہے اس کا سب سے پہلے خاتمہ ہوگا۔اس کے بعد جتنی بھی دہشت گرد تنظیمیں جو اسلام کے نام پر جنگ وجدال مچارکھی ہیں اور اس کے علاوہ ان کے حامی ممالک جیسے ترکی، سعودی عرب، قطر، متحدہ عرب امارات، امریکہ، اسرائیل کی پرودہ تنظیمیں اور خفیہ ایجنسیاں اس ملک کا جو حشر کریں گی، ملک مختلف خطوں میں بنٹ جائے گا، حلب پر ترکی کا قبضہ ہوجائے گا، کرد کچھ علاقے لے کر الگ ہوجائیں گے، کرد کے ساتھ ترکی باضابطہ جنگ کرنے لگیں گے۔ حمص پر النصرہ فرنٹ کا قبضہ ہوجائے گا، القاعدہ ادلب پر قبضہ کرلیں گے ، دمشق حزب اللہ کے تحت آجائے گا وہ اس لئے کہ یہاں سیدہ زینب اور سیدہ سکینہ رضی اللہ عنہما کی قبریں ہیں، اسی طرح وہاں کی عیسائی آبادی جن کی تعداد پندرہ فیصد کے قریب ہے، وہ کسی اور علاقے کا انتظام سنبھال لیں گے۔ اس ملک میں جو خانہ جنگی چلے گی جس کی کوئی نظیر دنیا کی تاریخ میں نہیں ملے گی۔ شام جو ابھی کھنڈر بن چکا ہے وہ مکمل طور سے تباہ ہوجائے گا۔ یہ تمام دہشت گرد تنظیمیں جو اسلام کے نام پر بشار الاسد کے خلاف جنگ کررہی ہیں ۔ بشار الاسد کے استعفے کے ساتھ ہی یہ تنظیمیں اور ان کے حامی حکومتیں خود آپس میں اپنے مفادات کی جنگ لڑنے لڑیں گے۔ یہ صرف بشار الاسد کے خلاف ایک دوسرے کا تعاون کررہے ہیں وہ لوگ صرف بشار الاسد کی تباہی کے خواست گار ہیں۔ انہیں ملک شام کا اتحاد اور مرکزیت عزیز نہیں ہے بلکہ اپنی سفلی خواہش کی تکمیل کے لئے اس لڑائی کا حصہ ہیں۔ ملک شام کی تباہی سے اگر کسی کو سب سے زیادہ فائدہ ہوگا وہ اسرائیل ہوگا، جو گولان کی پہاڑیوں کو پہلے ہی قبضہ کرچکا ہے اور وہ باضابطہ اپنے ملک میں اسے ضم کرلے گا اور اس کی سرحد پر موجود ایک دشمن کا ہمیشہ کے لئے خاتمہ ہوجائے گا جو اس کے لئے مسلسل درد سر ہے۔اس طرح کے حالات میں کیا آپ چاہیں گے کہ بشار الاسد استعفی دے دیں۔ بہت غور کیجئے گا تو آپ کو اس بات کا ادراک ہوجائے گا بشار الاسد کا صدر رہنا کیوں ضروری ہے.
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Saturday, 8 April 2017

خلیفۃ المسلمین ٹرمپ اور ارودگان




خلیفۃ المسلمین ٹرمپ اور ارودگان

_Caliph_Muslim_Ummah_erdogan_Trump#

از:ظفر اقبال


جمعہ کی رات 6 اپریل 2017 کو شام پر 59کروز میزائلوں سے امریکی حملے سے سب سے زیادہ شاداں اورفرحان نظر آرہے ہیں وہ ہمارے ترکی کے صدر طیب اروگان ہیں اور ساتھ ہی سعودی عرب نے اس حملے کی بھرپور حمایت کا اعلان کیاہے۔فیس بک پر جہاں بھی نظر ڈالئے آپ کو سنی دنیا میں ٹرمپ ایک ہیرو کی طرح نظر آرہے ہیں۔ کچھ لوگ یہ ہیڈنگ لگارہے ہیں، ’’امریکی حملہ : دیر آید درست آید‘‘ کہہ رہے ہیں۔ اسی طرح بہت ساری رائے ہیں یہاں کہ جماعت اسلامی پاکستان کے لوگ بھی امریکی پالیسی کی بھرپور حمایت کرتے ہیں۔ سنی دنیا اتنی احمق کیوں ہے سمجھ سے بالاتر ہے۔ سنی دنیا امریکی اور اسرائیلی کروز میزائل پر سوار کر عظمت رفتہ کی بازیافت کی کوششوں میں ہیں۔ خاص طور سے ترکی کے صدر طیب ارودگان نے تمام حدود سے تجاوز کرچکے ہیں۔ ان منافق آدمی نے جوخواب بن رکھا ہے وہ سمجھ سے بالاترہے۔ یہی وہ ہے جو عظمت رفتہ کی بحالی کی بات کرتا ہے لیکن اسرائیل کے ساتھ سفارتی تعلقات بحال کررکھا ہے۔ وہ فلسطین کا حامی ہے اور اسرائیل کا دشمن اور لیکن اسرائیل کے ساتھ سفارتی تعلقات کی بحالی کے بعد فلسطینی کاز کی کیا اہمیت رہ جاتی ہے۔ یہ تو سراسر بے وقوف بنانے والی بات ہے، اگر ارودگان کو اپنی عظمت رفتہ کی بحال کی اتنی ہی خواہش ہے تو اسے خلیفہ عبدالحمید کی پیروی کرنی چاہئے تھی،انیسویں صدی کے آخر میں ان کے پاس ایک یہودی نمائندہ قرہ صو آفندی پہنچا اس نے خلیفہ سے کہا کہ اگر آپ فلسطین کے اندر اسرائیل نام کی ریاست بنانے کی اجازت دیں گے تو ہم یہودی آپ کی حکومت پر جتنے قرضے ہیں سب ادا کردیں گے ، وہ مرد مومن نے اس وقت جو بات کہی وہ آب زر سے لکھنے کے قابل ہے ، انہوں نے کہا کہ ’’اگر تم ساری دنیا کی دولت بھی لاکر ہمارے قدموں میں رکھ دو تب میں ہم بیت المقدس کی ایک چٹکی مٹی بھی اس کے عوض نہیں دیں گے‘‘اس کے بعد وہ نمائندہ مایوس ہوکر لوٹ گیا۔ لیکن کچھ عرصے بعد1909 میں وہی قرہ صو آفندی خلیفہ المسلمین عبدالحمید کے معزولی کا پروانہ لے کر پہنچا، بالآخر وہ معزول کردیئے گئے، کوئی بھی مسلم ملک نے انہیں پناہ نہیں دی ، فرانس میں انہوں نے جلاوطنی کی زندگی گذاری اور وہ مرد مومن وہی مدفون ہے۔ لیکن طیب ارودگان جو امریکی اور اسرائیلی میزائل پر سوار کر اسلام کی عظمت کی بحال کی بات کرتے ہیں۔ ان کے اندر سوائے دشمنی کے کچھ نہیں ہے۔جو حسد کی آگ میں جل رہا ہے اور اسلام کی عظمت کی بحالی کی آڑ میں عالم اسلام کا ٹھیکدار بننے کی کوشش کررہاہے۔ ترکی عالم اسلام کا پہلا ملک ہے جہاں پورن فلم بنانے کو قانونی تحفظ حاصل ہے۔ وہی ارودگان ہیں جو چودہ برسوں سے ترکی پر حکومت کررہے ہیں۔ 16جولائی 2016کی رات کو ترکی میں جو فوجی بغاوت ہوئی، اس میں ایران نے کس طرح اس صدر کی جان بچائی ، بقول ایرانی وزیر خارجہ جواد ظریف اس رات ہماری پوری قیادت بیدار رہی اور کوئی نہیں سوسکا، ارودگان چھ گھنٹوں تک ایرانی سرزمین پر رہے، جب حالات قابو میں ہوگئے تب وہ ترکی بحفاظت پہنچادیئے گئے، لیکن یہ احسان کا بدلہ اس نے ایران کو کیا دیا، وہ ایران سے مسلسل دشمنی کررہا ہے اور دشمنی ہی نہیں کررہا ہے بلکہ وہ مسلسل زک پہنچارہا ہے۔ ایران کی ترقی اسے دیکھی نہیں جارہی ہے۔ ہاں یہ بات تسلیم کرتے ہیں کہ ایران اور ترکی کے درمیان تعلقات ماضی میں بھی بہت ہی اچھے نہیں رہے۔ یہ بات ہم سب جانتے ہیں کہ دونوں پڑوسی جب ایک ہی درجے کے ہوں تو کوئی نہ کوئی تنازعہ لگاہی رہتا ہے۔ چاہے معمولی سرحدی تنازعہ ہی کیوں نہ ہوں۔ پندرہویں صدی میں ترکوں کو عروج حاصل ہوا جب 1453عیسوی میں قسطنطنیہ پر جب ترکوں کو فتح حاصل ہوا۔ اس فتح نے ان کی دھاک پورے اسلام کے ساتھ ساتھ یوروپ پر بیٹھادی، اس کے بعد ترک بادشاہوں کے گھوڑے کی ٹاپوؤں کی آوازیں یوروپ کی سرزمین پر سنی جانے لگیں۔ اسی طرح ایشیا اور شمالی افریقہ کا ایک بڑا علاقہ ان کے زیر نگیں آگیا۔ بالآخرسولہویں صدی آتے آتے ان کا ایک بڑے علاقے پر قبضہ ہوگیا۔ ایران جو ترکی کا پڑوسی ملک ہے خود اسکی تاریخ ایک عظیم تاریخ رہی ہے، جہاں سائرس اعظم جیسے بادشاہ گذر چکے ہیں جس کو مفسرین قرآن ذوالقرنین سے بھی تعبیر کرتے ہیں۔جنہوں نے انسانی بھلائی کے جو کام کئے وہ آب زر سے لکھے جانے کے قابل ہے۔ اس طرح ایران بھی ایک جفاکش اور ذہین لوگوں کی سرزمین ہے جو کسی دوسرے قوم کی عملداری قبول نہیں کرتی، شکست ایک دوسری چیز ہے لیکن اپنی شکست کو قسمت کا لکھا سمجھ کر قبول کرلینا ایک الگ چیز ہے۔ ٹھیک اسی وقت جب ترکوں کو عروج حاصل ہوا، 1501میں ایران میں صفوی حکومت کی بنیاد پڑی، صفوی حکومت اور ترکی کے درمیان مسلسل تصادم ہوتارہا ،بالآخر ترکی اور ایران کے درمیان سرحدی حدبندی ہوگئی، لیکن حالات کبھی بھی معمول پر نہیں رہے۔ ترکی کا کوئی بھی باغی شہزادہ ایران بھاگ آتا۔ اسی طرح ایران اس کو سیاسی پناہ دے دیتا اس طرح کچھ نہ کچھ تنازعہ مسلسل لگا رہتا، ارودگان کے ذہن سے وہ مسلسل تصادم ابھی بھی نہیں نکل سکا ہے۔ ایران کو ترکی ایک دوست نہیں حریف سمجھتا ہے، اس کے عروج سے اس کو بہت ہی تکلیف پہنچتی ہے۔ شام پر ایک طرح سے ایران کا غلبہ ہے، ایران کی فوج شامی فوج کے ساتھ شانہ بہ شانہ لڑرہی ہے۔ ایران کی پروردہ حزب اللہ جو شام میں اسد کی حمایت کرتی ہے اور کھلے عام اسد کی فوج کے ساتھ لڑرہی ہے۔ جس سے ترکی بہت زیادہ پریشان ہوگیا ہے اور ایران کی بڑھتی ہوئی طاقت سے وہ گھبرایا ہوا ہے۔ ایران ترکی کو کیا نقصان پہنچائے گا لیکن ارودگان کے سینے میں ایران بقول اقبال تہران ہوگر مشرق کا جنیوا۔ شاید کرہ ارض کی تقدیر بدل جائے ، کا خوف اس پر طاری ہے اور گھبراہٹ محسوس کررہا ہے، اس لئے وہ مسلسل پے درپے غلطیاں پر غلطیاں کررہے ہیں۔
اب جب کہ امریکہ نے شام پر جمعہ کو کروز میزائل سے حملہ کردیاہے ، اس سے انہیں ایران اور شام کے خلاف ایک اچھا موقعہ مل گیاہے اور امریکہ کو مسلسل اکسا رہا ہے کہ شام میں مزید حملے کئے جائیں ایک حملے سے کام نہیں چلے گا اور ارودگان نوفلائی زون کی بات کررہے ہیں۔ عجیب سنی اسلام کے قائد ہیں، جو ابلیس کے ساتھ مل کر اسلام کی عظمت رفتہ کی بازیافت میں لگے ہوئے ہیں۔ اللہ بچائے ان نادان اسلام کے سرخیل سے۔
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Thursday, 6 April 2017

دنیا کی دہشت گرد ریاست امریکہ اور برطانیہ


دنیا کی دہشت گرد ریاست امریکہ اور برطانیہ 

#USA_UK_Terrorist_state

از :ظفر اقبال

تین سو برسوں سے اس دنیا میں جو انارکی پھیلی ہوئی ہے اس میں برطانیہ کی بدکرداری کی کوئی مثال اس روئے زمین کی تاریخ میں نہیں ملے گی۔ امریکہ کی نمود تو بیسویں صدی کی ہے خاص طور سے عالمی جنگ دوم کے بعد کی ہے۔ ان دونوں ممالک نے اس دنیا کو جس طرح تباہی سے دوچار کیا ہے، ہر ممالک میں جو اٹھاپٹک یا سیاسی عدم استحکام پھیلا ہوا ہے اس میں ان دونوں ممالک پیش پیش رہتے ہیں۔ وہ اپنے حساب سے اس دنیا کو چلانا چاہتے ہیں جو ان کی بات مانتے ہیں ان کے تمام ناجائز مطالبات ان کو قبول ہے اور جو ان کی غلامی سے انکار کرے تو اس کی زندگی اجیرن کردینا ان کا شیوہ رہا ہے۔
برطانیہ نے صدیوں تک دنیا کی ایک بڑی آبادی کو غلام بنائے رکھا اور ان ممالک کے وسائل کو جس طرح لوٹا ، وہ ممالک اپنے آپ کو مہذب کہتے ہیں اور وہ خود اس زعم میں مبتلا ہیں کہ اس دنیا کو نئی تہذیب سے آشنا کرانے والے تو ہم ہیں۔ خود ہمارا ملک برطانیہ کی غلامی میں نوے برسوں تک رہا۔جس طرح غلام ممالک کو برطانیہ نے ایک مال زرخرید سے زیادہ نہیں سمجھا۔ یہ وہی برطانیہ نے جس نے ہمارے پیشہ ور لوگوں اور بنکروں کی انگلیاں کٹوادیں تاکہ ہندوستان کی صنعت تباہ ہوجائے اور مانچسٹر کے کپڑے ہندوستان میں برآمد کئے جاسکیں۔ ہر شعبوں میں زبردست عدم استحکام کیا گیا اور ایک بڑی آبادی کو غلامی کی زنجیروں میں جکڑ دیا گیا جنہوں نے انسانیت پر جتنے مظالم کئے ہیں، ان کے مظالم فرعون کے مظالم سے کم ہی نظر آتے ہیں، فرعون نے تو صرف ایک قوم کو غلام بناکر رکھا تھا لیکن انہوں نے تو دنیا کی ایک تہائی آبادی کو غلام بنالیا تھا۔ وہ تو اللہ نے ہٹلر کو ایک عذاب کی صورت میں برطانیہ اور اتحادی طاقتوں پر نازل کردیا جس نے برطانیہ،فرانس ، امریکہ اور روس اتحادیوں کی کمر توڑ کر رکھی دی، ہٹلر ضرور ہار گیا لیکن ہٹلر کی شکست کے ساتھ ہی دنیا کی ایک بڑی آبادی بھی ان ظالم نواستعماریت کے خونی پنجے سے آزاد ہوگئی جو ان ممالک کے وسائل کو لوٹ کر اپنے ملک لے جارہے تھے ۔ہم اس کو اس طرح کہہ سکتے ہیں ہٹلر کے ذریعہ اللہ تعالی نے برطانیہ اور فرانس اور امریکہ کے نخوت کو توڑ کر رکھ دیا۔ اس کے باوجود برطانیہ اور امریکہ اسی روش پر قائم ہیں۔ آج دنیا میں جو سیاسی عدم استحکام پھیلا ہے اس میں یہ دونوں ممالک خاص طور پر پوری طرح ملوث ہیں۔ چاہے مشرق وسطی کے ممالک ہوں یالاطینی ممالک ہوں یا مشرقی بعید کے ممالک ہو ان تمام ممالک میں امریکی اور برطانوی مکاری اپنے عروج پر ہے اور تباہی وہ بربادی ان کو بہت ہی سکون پہنچاتی ہے، امریکہ اور برطانیہ بحری بیڑے کا خلیج فارس میں کیا کام ہے؟ کیا امریکہ اور برطانیہ کی سرحد خلیج فارس سے لگتی ہے۔ یہ صرف ان کی کمینگی ہے کہ ہر ممالک میں اپنے سیاسی پٹھوؤں کو حکمراں بنائیں جو ان کے مشن میں معاونت کرے،۔ خلیج فارس کے جتنے عرب ممالک ہیں سب میں بادشاہت ہے لیکن برطانیہ جو اپنے آپ کو’ جمہوریت کی ماں‘ کہتا ہے ان کو یہ بادشاہت بہت ہی پسند ہیں اسی طرح امریکہ جواپنے آپ کو ساری دنیا میں جمہوریت کو پھیلانے کا ٹھیکیدار بن گیا ہے لیکن وہ عرب ممالک ان کو نہیں دکھتے ہیں۔ وہ اس لئے ان بادشاہوں کی حمایت کرتے ہیں کہ وہ ان کی ہاں میں ہاں کرتے رہیں اور ان کے مشن کو آگے لے جانے میں دولت سے مدد کرتے ر ہیں۔ شام ، یمن، لیبیا اور عراق کو عدم استحکام سے دوچار کرنے والے برطانیہ اور امریکہ ہی ہیں ، تمام طرح کے بم وبارود ان عرب ممالک کو بیچ رہے ہیں تاکہ یمن اور شام ، عراق کو تباہ کیا جاسکے۔ 
اسی طرح سی آف چائنا میں امریکہ کا کیاکام ہے؟ سی آف چائنا تو ان ممالک کا ہے جو ان کے پڑوسی ہیں، امریکہ تو جاپان اور جنوبی کوریا کا پڑوسی تو نہیں ہے، لیکن اس کے باوجود ہر معاملے میں ٹانگ اڑانا اور اپنی برتری کو اس دنیا پر تھوپنا وہ اپنا حق سمجھتا ہے۔ اسی رویہ پر چند دن قبل ایران کے وزیر دفاع دہقان نے یہ بات کہی تھی کہ’ امریکی فوجی چور اور غنڈہ ہیں۔‘ امریکہ اور برطانوی بحری بیڑے آپ کو کئی جگہ نظر آجائیں گے۔ کیا چین اور ایران اپنے بحری بیڑے نیویارک کے سامنے بین الاقوامی سمندری حدود میں تعینات کردے تو امریکہ کو کیسا محسوس ہوگا۔ اسی طرح اس ان ممالک کو محسوس ہوتا ہے کہ کوئی دشمن ملک جو ان کے ملک کے اندرونی معاملوں میں مداخلت کرتے ہیں تو وہ کس طرح تکلیف محسوس کرتے ہیں۔ شمالی کوریا کے پیچھے سب لوگ پڑے ہیں۔ شمالی کوریا کا کیا قصور ہے؟ کیا شمالی کوریا نے ایک بڑی آبادی امریکہ اور برطانیہ کی طرح قتل کیا ہے؟ یقیناًشمالی کوریا نے نہیں کیا ہے۔ لیکن اس کے باوجود اس پر زندگی تنگ کردی گئی اور ان کے جرائم کی داستان جو زیادہ تر جھوٹ پر ہی مبنی ہوتے ہیں اس کو بہت بڑھا چڑھا کر میڈیا کے ذریعہ پھیلایا جاتا ہے۔ برطانیہ اور امریکہ نے شمالی کوریا کے ساتھ جو ظلم ڈھایا ہے اس کی کوئی نظیر دنیا کی تاریخ میں نہیں ملے گی۔ شمالی کوریا اور ان کے عوام کا کیا قصور ہے کہ ایک بڑی آبادی کو بھوکوں مرنے پر مجبور کیا جائے۔ آپ کو یہ جان کر تعجب ہوگا کہ شمالی کوریا اور جنوبی کوریا دونوں ستر سال قبل ایک ہی ملک تھے لیکں آج جنوبی کوریا جو ترقی یافتہ ہے جن کی معیشت ہندوستان کی معیشت سے آٹھ گنا بڑی ہے ۔ لیکن شمالی کوریا جہاں عرصوں سے سوکھاپڑا ہے ، بہت مشکل سے کوئی فصل ہوپاتا ہے۔ لوگ دانے دانے کو محتاج ہیں۔ اس کی وجہ بھی ہے کہ ان امریکیوں نے ان کے ساتھ کیا ظلم کیا ہے؟ میں آپ کو سناتا ہوں،یہ امریکی شمالی کوریا کی طرف جانے والے بادلوں کو ملک میں پہنچنے سے پہلے ہی گرادیتے ہیں تاکہ شمالی کوریا میں بارش نہ ہوسکے ۔امریکہ ایک طرح سے خدا بن بیٹھا ہے۔ وہ یہ طے کرتا ہے کہ کس کو کھانا ملنا چاہئے یا کس کو نہیں ملنا چاہئے۔.
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