लोकतांत्रिक भारत में एक तानाशाह का उदय होना
#Democracy_Modi_Dictatorजफर इकबाल
स्वतंत्र भारत में दशको बाद 2014 में एक तानाशाह का उदय हुआ। जिसने भारत के सभी सरकारी संस्थाओं को अपने कमान में कर िलया अधिक मशकिल उस वकत पैदा हो जाती है जब भारतीय न्यायपालिका जो हर ज़माने में बहुत हद तक आजाद रही है वह भी प्रधानमंत्री के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश कर गया। भारत में अब तक जितने भी प्रधानमंत्री गुजरे हैं नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक इनमें सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री मेरे नजदिक मोदी हैं, फोर्ब्स पत्रिका अपने हाल के एक सर्वेक्षण में दुनिया के 2016 के शक्तिशाली सबसे दस प्रमुख प्रधानमंत्री में उनका नाम शामिल कर चुका है। प्रधानमंत्री दामोदर दास मोदी को स्वतंत्र भारत का सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री इसलिए कह रहा हुँ कि नेहरु लोकप्रियता सारी दुनया में थी लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री होते हुए मंत्रालय में केवल विदेश मंत्रालय को मरते दम तक अपने पास रखा लेकिन इसके अलावा सभी मंत्रालयों को पूरी आजादी दे दी कि वह अपने प्रति काम करें लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पहले के सभी परंपराओं को दरकिनार करते हुए मंत्रालयों और सभी संस्थानों को अपने नियंत्रण में कर लिया बल्कि अब लगता है कि न्यायपालिका भी प्रधानमंत्री अधिकार क्षेत्र में आ चुकी है। अदालतों के न्यायाधीश भी प्रधानमंत्री की खुशी के लिए काम करते हुए नजर आ रहे हैं। शायद इस उम्मीद में कि अपनी वफादारी दिखाते हुए तरककी कर सकें। यह तथ्य अपनी जगह सत्य हैं.एक तानाशाह की तरह उभरे मोदी के लिए स्वागत योग्य भी हो सकता है कि इतिहास में एक नए भारत के वास्तुकार के रूप में उनका नाम अमर कर दे अगर मोदी की विफलता होती है तो आधुनिक भारत के इतिहास में एक असफल प्रधानमंत्री स्वीकार किए जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल हर फैसले खुद व्यक्तिगत रूप से ले रहे हैं। मुझे लगता है कि वह परामर्श पर विश्वास ही नहीं रखते। बल्कि सलाहकार नरेंद्र मोदी से डरने लगे हैं और किसी भी मंत्री और अन्य अधिकारियों की हिम्मत ही नहीं हो रही है वह अपने सुझाव प्रधानमंत्री मोदी को दे स्कें. उनके सलाहकारों को ऐसा लगता है कि अगर प्रधानमंत्री को मेरी बात नागवार गुज़री तो नौकरी ही खतरे में न पड़ जाए और मंत्रियों को इस बात का डर है कि उनके मंत्रालय ही नहीं छीन जाए।
फोन: 995836152

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