Tuesday, 23 August 2016

सऊदी अरब की पाकिस्तान को नष्ट करने की साजिश

9/11 की घटना सऊदी अरब और इसराइल ने मिलकर अंजाम दिया है, विशेष रूप से यह कारनामा सऊदी अरब ने अंजाम दिया था ताकि पाकिस्तान को नष्ट किया जा सके, कुछ दिन पहले अमेरिकी अदालत में सऊदी अरब 9/11 के मामले में दोषी साबित हो चुका है। यह लेख मैं ऩे पहली बार 28 मार्च 2015 को लिखा था कि पाकिस्तान को नष्ट करने की सऊदी इच्छा क्यों है:

सऊदी अरब की पाकिस्तान को नष्ट करने की साजिश

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जफर इकबाल

जब पाकिस्तान ने 28 मई 1998 में परमाणु परीक्षण किया तो इस्लामी पाकिस्तान की स्थिति और इसकी अहमीयत बहुत बढ़ गई, इस की वजह से विभिन्न देशों के मीडिया खासकर मुस्लिम देशों के अखबारों का अध्ययन करने के बाद पता चलता है कि पाकिस्तान का दुनिया का सातवां और इस्लामी दुनिया का पहला परमाणु देश बन जाने पर जबरदस्त खुशी व्यक्त किया गया, बल्कि इस्लामी दुनिया ने इस बात का संतोष भी महसूस किया कि अंततः पाकिस्तान जो हमारे समुदाय का देश है एक परमाणु शक्ति है। जिससे इस्लामी दुनिया मैं पाकिस्तान की इजजत बहुत बढ़ गई। इस उत्साह को देखते हुए पाकिस्तान के पूर्व जनरल और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी पाकिस्तान को इस्लाम का कई बार किले करार दे चुके हैं।
पाकिस्तान का इस तरह उभरना और इस्लामी दुनिया में लोकप्रिय हो जाना सऊदी अरब को एक आंख भी नहीं भाया उसे ऐसा महसूस हुआ कि अगर पाकिस्तान की लोकप्रियता इसी तरह बढ़ती रही तो उसकी स्थिति शून्य हो जागी। उसने एक साजिश रची, इस साजिश की भनक जनरल परवेज मुशर्रफ को पहले लग गई तब उसने नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर देश की सरकार पर कब्जा कर लिया।11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला, इस हमले में उन्नीस हमलावरों में से 17 हमलावरों का संबंध सऊदी अरब से होना एक गहरी साजिश का पता देता है। इस साजिश में इजरायल, अमेरिका और सऊदी अरब पूरी तरह शामिल हैं, बल्कि सऊदी अरब ही निर्माता दिखाई देता है।, सऊदी अरब ने इजरायल और अमेरिका को आश्वासन किया कि किसी तरह पाकिस्तान को तुम सैन्य दृष्टि से सफाया कर दो इससे मेरी स्थिति इस्लामी दुनिया मै फिर बढ़ जाए गी। इजरायल और अमेरिका, विशेष रूप से इसराइल को इससे यह फायदा था कि पाकिस्तान से भविष्य में जो खतरा हो सकता है उसका अंत हो जाएगा वह इसलिए कि पाकिस्तान एक वैचारिक देश है, जो इस्लाम के नाम पर अस्तित्व में आया है, इसका उभरना इसराइल के लिए खतरे की घंटी है, उसका अंत हो।
इस साजिश के तहत नाइन इलेवन की घटना हुई और इसका आरोप अलकय़दा पर लगाया गया और अलकायदा के प्रमुख इस समय तालिबान शासित काबुल में मौजूद था, तालिबान सरकार जिसे पाकिस्तान मानता था। दरअसल पाकिस्तान को घेरने की यह सऊदी, इसराइल और अमरीकी साजिश थी साजिश को जनरल मुशर्रफ ने तुरंत महसूस किया, जब अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने धमकी देते हुए कहा कि '' अगर तुम मेरा साथ नहीं देते तो तुमको पतथर युग में पहुँचादेंगे। '' दारासल अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कब्जा करने की वह साजिश
थी जो सऊदी अरब के इशारे पर अमेरिका कर रहा था, लेकिन जब नेतृत्व वयस्क होती है तो लोगों को छोटी परीक्षा से गुज़ार कर राष्ट्र को पूर्ण विनाश से बचालेती है। इसलिए जनरल मुशर्रफ ने हामी भरली, जब जनरल मुशर्रफ ने राष्ट्र को छोटी परीक्षा से गुज़ार कर बड़ी आपदा से बचा लिया। काबुल में अमेरिकी कब्जे के बाद पाकिस्तान को फिर भी चैन से नहीं रहने दिया गया। उस पर साम्प्रदायिक झगड़े का अंतहीन सिलसिला शुरू हो गया। 2003 में हज़ारा शिया जनजातियों के नरसंहार, 2007 में लाल मस्जिद की घटना उसी का सिलसिला है जो अब तक विभिन्न रूपों में जारी है। यह सभी साम्प्रदायिक झगड़े सऊदी अरब के इशारे पर हो रहे हैं ताकि पाकिस्तान कभी भी उसकी नेतृत्व को चुनौती देने की स्थिति में न रहे।
फोन: 9958361526

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